शुक्रवार, जुलाई 17, 2009

रामायण का एक सीन...

रुखसत हुआ वो बाप से लेकर खुदा का नाम।

राह-ए-वफ़ा की मन्ज़िल-ए-अव्वल हुई तमाम॥

मन्ज़ूर था जो माँ की ज़ियारत का इंतज़ाम।

दामन से अश्क पोंछ के दिल से किया कलाम॥!॥

रचनाकार - पं ब्रजनारायण ’चकबस्त’

5 Responzes:

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ा सही चित्रण किया है उस प्रसंग का/

Samrendra Sharma ने कहा…

खूब लिखा है..

Priyankar ने कहा…

गौतम जी पंक्तियों के साथ कवि/शायर का नाम भी दे देते तो अच्छा होता . ये पंक्तियां पं. ब्रजनारायण ’चकबस्त’ की रचना ’रामायण का एक सीन’ से हैं .

ravishndtv ने कहा…

बेहतर कहा है। मजा आ गया।

Ram Krishna Gautam ने कहा…

प्रियंकर जी,माफ़ी चाहता हूँ!
दरअसल इन लाइंस को
लिखते वक़्त मैं जल्दी में था
इसलिए मैं इन लाइंस के
रचनाकार पं ब्रजनारायण ’चकबस्त’
जी का नाम लिखना भूल गया था.
अभी लिख देता हूँ.

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