सोमवार, जुलाई 20, 2009

एक "चाँद" आसमान से विदा हो गया...


महज़ सत्रह दिन बाद यानि चार अगस्त को उनका जन्मदिन आने वाला था। अभी जून की ग्यारह तारीख की शाम को ही उन्होंने मुझसे बात की थी। उस दिन वो काफी खुश थे। फोन पर "हेलो" बोलते ही उन्होंने कहा "छोटे! खुशखबरी है!" मैंने खुश होते हुए कहा "क्या भैया?" उन्होंने कहा "तेरे भाई ने PSc का प्री एग्जाम पास कर लिया है। अब दुआ कर कि मेन्स में भी पास हो जाऊँ! और सुन एक और खुशखबरी है! SBI में भी मेरा सेलेक्शन हो गया है! मैं ख़ुशी से झूम उठा और कहा कि वाह! भैया क्या बात है!! CONGRATULATIONS! अब तो मिठाई की बनती है! उन्होंने उतनी ही ख़ुशी से कहा "अब इसमें कौन सी बड़ी बात है। मैं 25 जुलाई को जबलपुर आ रहा हूँ न! मिलते हैं! इसके बाद उन्होंने मेरी पढाई के बारे में पूछा और फिर इधर-उधर कि बातें होने लगी।
दिन था 18 जुलाई का, शनिवार! मैं अपने ऑफिस में कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़रे गडाये उनके ब्लॉग http://swasamvad.blogspot.com/ पर उनकी रचनाएँ पढ़ रहा था। सच में कितना प्यारा लिखते थे वो। जादू था उनकी लेखनी में। उस वक़्त रात के लगभग साढ़े दस हो रहे थे। अचानक मेरे सेलफोन की घंटी बजी। मेरे एक दोस्त रमन का काल था। काल मिस हो जाने के बाद मैंने कालबैक किया। अमूमन काल कनेक्ट होने के बाद HELLO ही सुनाई देता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। उस तरफ से रमन की घबराई हुई आवाज़ से निकले हुए शब्द थे "कुछ खबर मिली क्या?" मैंने बड़ी व्याकुलता और भय से पूछा "क्या?" उसने कहा "'विकास भैया' की DEATH हो गई"। इतना कहना हुआ ही था कि मेरे तो पैर ही ठंडे पड़ गए। एक पल के लिए मुझे लगा कि मेरे शरीर से मेरी आत्मा विदा हो गई। पैरों तले ज़मीन खिसक गई और मैं हतप्रभ रह गया। उन्हें इस संसार से विदा हुए अभी कुछ ही घंटे हुए हैं। अभी भी उनकी वो हंसती-मुस्कुराती सूरत मेरे दिमाग में क़ैद है और मुझे, मेरे मन को बार-बार रुला रही है। वो भोपाल में रहकर PSc MAINS की तयारी कर रहे थे.
शनिवार, 18 JULY का दिन उनके और हम सभी के लिए एक "काला दिन" था। भोपाल के पास ही मिसरौद रोड पर एक सड़क हादसे में उनकी और हमारे एक अन्य सीनियर संकल्प रंजन शुक्ला की दर्दनाक मौत हो गई। ईश्वर इतना भी कठोर हो सकता है, मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी? खैर! वो जितनी उम्र लेकर आये उतना ही जिए। अंत में मेरे प्यारे "विकास भैया" के लिए इतना ही कहूंगा कि
"कुछ लोग हैं जो वक़्त के सांचे में ढल गए, कुछ लोग थे जो वक़्त के सांचे बदल गए।" अब वो भौतिक रूप से तो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी स्मृतियाँ सदा ही हमारे बीच रहेंगी। प्यारे भैया आपको हम सभी छोटे भाइयों, आपके चाहने वालों और आपके तमाम साथियों की ओर से "अश्रुपूरित श्रद्धासुमन"। आप अगले जनम में जहाँ भी जाएं, हमेशा खुश रहें और आपको हमारी भी उम्र लग जाए...
"ये कौन चला श्रृंगार करके? बहार क्यों लजा गई?बस इतनी सी बात है, किसी की आँख लग गयी, किसी को नींद आ गयी!!!

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Blogspot Templates by Isnaini Dot Com. Powered by Blogger and Supported by Best Architectural Homes