शनिवार, सितंबर 05, 2009

वो जिधर जाए जन्नत उधर देखिये!!

उनकी नजरे-करम का असर देखिये!
प्यार देता हुआ, हर वशर देखिये!!
..............देखती तक न थी जिसको कोई नजर!
........................बेकरार देखने हर नज़र देखिये!!
उनकी नजरे-करम छु गई है जिसे!
उसको बदला हुआ हर कदर देखिये!!
..............उसने सोना बनाया है लोहे को छु!
..............वह दमकता देखेगा जिधेर देखिये!!
उनकी नजरे-करम पर जिसे फक्र है!
उसको भटका, इधर न उधर देखिये!!
...............प्यार देता देखेगा सभी को अरे!
..............प्यार से छल-छलाता जिगर देखिये!!
देखिएगा उसे अपना सुख बाटते!
दुःख बाटने को नजरो को तर देखिये!!
..............बस यही है फरिश्तो की पहचान भी!
..............वो जिधर जाए जन्नत उधर देखिये!!


आप सभी को शिक्षक दिवस की तहेदिल से शुभकामनाएं!!!

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