शुक्रवार, दिसंबर 18, 2009
पल दो पल की शायरी...
जो बीत गई वो बात गई
सूरज निकला और रात गई
अब जीने की ख्वाहिश क्या करना
मरने की तमन्ना कौन करे
जब प्यास बुझाने की खातिर
प्यासा पनघट को जाता है
ऐसे में प्यासा क्यों मरना
और... पानी-पानी कौन करे!...
लेबल: पल दो पल का गीत, पल दो पल की शायरी, यूँ ही
Writer रामकृष्ण गौतम पर शुक्रवार, दिसंबर 18, 2009 1 Responzes
सदस्यता लें
संदेश (Atom)