रविवार, सितंबर 13, 2009

हिंदी-दिवस..! एक दर्पण...

साल के प्रत्येक 14 सितम्बर को "हिंदी-दिवस" मनाया जाता है... क्यों मनाया जाता है, कहना मुश्किल है... लेकिन मनाया जाता है... शायद इसीलिए मनाया जाता है क्योंकि 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी... इसी महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिन्दी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये सन् 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष "हिन्दी-दिवस" के रूप में मनाया जाता है... स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया जो भारतीय संविधान की धारा 343(1) में लिखा है: संघ की राज भाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी होगी... संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतर्राष्ट्रीय रूप होगा... और हर सरकारी संस्था अपने लेखन कार्यों में इसका उपयोग करेगी... बस यहीं आकर बात ख़त्म हो जाती है... संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दे दिए जाने के कारण ही हम "हिंदी-दिवस" मनाते आ रहे हैं... और 14 सितम्बर के दिन सरकारी कार्यालयों का आलम तो देखने लायक होता है... हर सरकरी दफ्तर में हिदी से संदर्भित ढेर सारे आयोजन किये जाते हैं... भाषण, निबंध लेखन, परिचर्चा इत्यादि... चलिए कुछ भी हो... एक दिन ही सही लेकिन "बेचारी हिंदी" की लज्जा तो रख ली जाती है... मैं यह नहीं कहना चाहता की "हिंदी-दिवस" महज़ सरकारी दफ्तरों का एक तामझाम है... मैं तो सरकारी कर्मचारियों का ह्रदय से आभारी हूँ... कि वो कम से कम हमारी मातृभाषा की इतनी इज्ज़त तो कर रहे हैं... ये सभी पूरे एक दिन हिंदी की पूजा करते हैं... पूरे एक दिन हिंदी पर ही इनका ध्यान होता है... लेकिन ज़रा सोचिए कि हमारे देश की यह कैसी विडंबना है कि हिंदी यानि राष्ट्रभाषा की महत्ता महज़ सरकारी दफ्तरों तक ही सीमित है... क्यों बजरंग दल, शिवसेना और ऐसे ही तमाम "कथित समाज सुधारक दल" इसका प्रचार प्रसार नहीं करते... ये दल और सेना जिस तरह से मंत्रियों का पुतला जलाते हैं... जिस तरह से Velentines Day का विरोध करते हैं उस तरह से हिंदी भाषा की महत्ता का गुणगान क्यों नहीं करते..? आज नौकरी के हर क्षेत्र में हिंदी को प्रधानता क्यों नहीं दी जाती..? क्यों हिंदी भाषियों की उपेक्षा की जाती है..? अन्य जगहों पर भी "हिंदी-दिवस" क्यों नहीं मनाया जाता..? क्यों हम एक दूसरे से मिलने पर केवल अंग्रेजी के शब्दों को संबोधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं..? बस यही तो समस्या है... इन प्रश्नों के उत्तर अगर मिल जाएँ तो आप समझ जाएँगे कि केवल 14 सितम्बर ही हिंदी के गुणगान का दिन नहीं है... फिर तो हर एक दिन "हिंदी-दिवस" मनाया जाने लगेगा... महज़ एक दिन नहीं!

उफ़! ये विवशता...

संविधान के जाल में हिरनी सी लाचार...
किसी अँधेरी नीति की हिंदी हुई शिकार...

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Blogspot Templates by Isnaini Dot Com. Powered by Blogger and Supported by Best Architectural Homes