रविवार, सितंबर 13, 2009

उफ़! ये विवशता...

संविधान के जाल में हिरनी सी लाचार...
किसी अँधेरी नीति की हिंदी हुई शिकार...

2 Responzes:

संजय तिवारी ने कहा…

आपको हिन्दी में लिखता देख गर्वित हूँ.

भाषा की सेवा एवं उसके प्रसार के लिये आपके योगदान हेतु आपका हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ.

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

हिंदी पर सही टिप्पणी...

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Blogspot Templates by Isnaini Dot Com. Powered by Blogger and Supported by Best Architectural Homes