रविवार, नवंबर 30, 2008

26 नवम्बर की दर्दीली तारीख..!!!

तारीखें इतिहास में इतने दर्दनाक और मनहूस तरीके से भी दर्ज होती हैं शायद। 26 नवम्बर ऐसी ही तारीख है जिसने अपने चेहरे पर शोक, आंसू, तबाही, बरबादी, भय, बेबसी और अविश्वास की कई इबारतें लिख ली हैं। शनिवार सुबह पूरे 59 घंटे की लगातार जंग के बाद मुंबई को हालांकि सेना के जवानों और मरीन कमांडो ने आतंकियों के कब्जे से आजाद करा लिया, लेकिन इस आजादी की बहुत भारी कीमत देश ने चुकाई है। इस जंग में कई नायाब हीरे शहीद हुए हैं। मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने शहीदों के लिए आज मुआवजे की घोषणा की, लेकिन जो नुकसान मारे गए या घायल हुए सैकड़ों हंसते–खेलते–आबाद परिवारों ने झेला है उसे कोई मुआवजा नहीं भर सकता। आज जोर–शोर से जंग में जीत का ऐलान हुआ लेकिन यह जानना कितना विस्मयकारी अनुभव है कि बीस से तीस साल के कुल दस सिरफिरों ने 59 घंटे तक पूरी दुनिया को हिलाये रखा। ताज, आ॓बेरॉय और नरीमन भवन मुक्त करा लिए गए, लेकिन उनकी काफी दुर्दशा हो चुकी है। ताज तथा आ॓बेरॉय के जिस वैभवशाली खुशगवार परिसर में हवाएं भी कुछ देर ठहरना पसंद करती थीं, वहां से आज उन्हें गुजरने में भी डर लग रहा है। मुंबई के वैभव को विनाश की बद्दुआ में अभिशप्त छोड़ दस में से नौ आतंकी मारे गए। एक को पुलिस ने पकड़ा है। सोचिए, इकलौता पकड़ा गया आतंकवादी आजम अमीर कासव (21 वर्ष) भी मारा जाता तो कितने मायूस, लाचार और निहत्थे रह जाते हम। आतंकवादी सरगनाओं तक पहुंचने के तमाम रास्तों की दिशाएं खो जातीं अगर गिरगांव चौपाटी पर हुई मुठभेड़ में अपने साथी आतंकवादी के साथ यह आतंकवादी भी धराशाई हो जाता। 26 नवम्बर का नृशंस नरसंहार इन्हीं दो लड़कों ने शुरू किया था। इनके नरसंहार ने देश–दुनिया के अनेक महत्वपूर्ण, वैभवशाली और प्रतिभावान लोगों को भी मौत की नींद सुला दिया। जैसे-जैसे परतें उघड़ रही हैं दिमाग की सांय–सांय बढ़ रही है। शहर की वर्ली स्थित नामी ‘ताआ॓ आर्ट गैलरी’ के मालिक पंकज शाह भी इस हमले में मारे गए हैं। मशहूर आर्ट डीलर कल्पना शाह के पति पंकज अपने कुछ व्यापारिक मित्रों के साथ आ॓बेरॉय होटल के प्रतििष्ठत कंधार रेस्त्रां में डिनर ले रहे थे। उनके साथ डिनर कर रहे एकमात्र जीवित व्यक्ति अपूर्व ने खुलासा किया है कि कंधार और टिफिन रेस्त्रां में डिनर कर रहे लोगों को आतंकवादी होटल की छत पर ले गए। लाइन में खड़ा किया और गोलियों से उड़ा दिया। अपूर्व इसलिए बच गए क्योंकि उनके आगे खड़ा एक व्यक्ति गोली लगने के बाद उनके ऊपर जोर से गिर पड़ा। उसके साथ अपूर्व भी गिरे। तो भी एक गोली उनकी गर्दन को छूते हुए गुजर गई। मां रक्षमणि बेन शाह, पत्नी कल्पना शाह, बेटी संजना शाह और बेटे सृजन शाह के साथ रहने वाले पंकज शाह का आज शाम साढ़े तीन बजे बाणगंगा, बालकेश्वर में दाह संस्कार कर दिया गया। ‘धमाल‘, ‘स्पीड‘ और ‘ईएमआई‘ जैसी हिट फिल्मों में काम कर चुके युवा अभिनेता आशीष चौधरी ने अपनी बहन और बहनोई को गंवा दिया। बहन मोनिका और बहनोई अजित भी 26 नवम्बर की रात आ॓बेरॉय होटल में डिनर पर गए थे। शुक्रवार को उनकी लाशें बाहर आईं। बताया गया है कि आतंकवादियों ने पहले दोनों के पैरों पर गोली मारी फिर सिर पर वार किया। दोनों अपने पीछे अपने दो अबोध बच्चों (पांच साल की बेटी और आठ साल का बेटा) को छोड़ गए हैं। शहर के एक खेल पत्रकार ने बताया, 26 नवम्बर की रात आ॓बेरॉय होटल में खाना खा रहे कराटे के विश्वप्रसिद्ध कोच दिनशा पर भी आतंक का पहाड़ टूटा। फिटनेस और एडवेंचर पर कई किताबें लिख चुके दिनशा को अस्पताल ले जाया गया जहां 28 नवम्बर की रात उन्होंने दम तोड़ दिया। मुंबई के ठाणे इलाके में रहने वाली एक महिला को उसकी शादी की सालगिरह 27 नवम्बर को पति का शव मिला। ताज होटल में चीफ शेफ जैसी बड़ी नौकरी करने वाले फॉस्टिन मार्टिन हालांकि आतंकियों के चंगुल से निकल गए थे लेकिन इसी होटल के डेटा ऑपरेशन सेंटर में कार्यरत उनकी बेटी प्रिया वहां फंसी रह गई थी। 26 नवम्बर की रात पहली मंजिल पर फंसे फॉस्टिन को रात दो बजे के करीब बाहर निकाल लिया गया था। बाहर आकर फॉस्टिन ने बेटी को फोन किया तो बेटी ने भूख लगने और डरने की बात बताई। भोजन का पैकेट लेकर फिर होटल में घुसे इस चिंतातुर पिता को इस बार आतंकवादियों ने गोलियों से उड़ा दिया। भोजन करते लोगों को मौत की नींद सुला देने की करतूत करने वाले आतंकवादी खुद अपने लिए पूरे तीन दिन का भोजन–पानी लेकर शहर को ध्वस्त करने निकले थे। ताज होटल में फंसे शहर के सबसे बुजुर्ग दंपत्ति सुंदर थडानी (85 वर्ष) और कविता (79 वर्ष) हालांकि इस हादसे से बच निकले भाग्यशाली लोग हैं लेकिन हादसे को याद कर वह अब भी सहम जाते हैं। दोनों एक विवाह समारोह में शामिल होने 26 नवम्बर की रात ताज होटल गए थे। नौ चालीस पर हुई गोलीबारी के बाद मची भगदड़ के दौरान दोनों को सुरक्षाकर्मियों ने कुर्सियों और मेजों से ठसाठस भरे एक कमरे में पहुंचा दिया, जहां पहले से पचास के करीब स्त्री-पुरूष मौजूद थे। इनमें कुछ विदेशी भी थे। आर्थराइटिस की मरीज कविता थडानी ने बताया है, ‘कमरे में सैंडविच और कोल्ड ड्रिंक की व्यवस्था तो थी लेकिन पीने के लिए पानी नहीं था। उस कमरे में टॉयलेट जाने का कोई इंतजाम नहीं था।

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