बुधवार, जनवरी 21, 2009

फूल खिल गए लेकिन खुशबु कहाँ..?


विश्व की सबसे ताक़तवर कंट्री अमेरिका के चवालीस वें राजा "बराक हुसैन ओबामा" ने मंगलवार को रात ग्यारह बजकर दस मिनट (भारतीय समयानुसार) पर दुनिया पर अधिपत्य की शपथ लेली... लेकिन न तो कोई धमाका हुआ, न आसमान से कोई तारे टूटे और न ही कोई पहाड़ अपनी जगह से हिला... क्यों कोई आकाशीय पिंड धरती पर नही गिरा... ये सब नही हुआ तो कोई बात नही पर कम से कम स्वर्गलोक के त्रिदेवों को तो सोचना चाहिए था कि "बराक हुसैन" के ऊपर फूलों कीवर्षा कर दें पर ऐसा भी नही हुआ... भई! ऐसा क्यों नही हुआ...? ये सोचने का मुद्दा है... जैसे हाल में "मंदी" के विषय में सोचा जा रहा है... खैर! ऊपर वाले की भी "बराक हुसैन" को लेकर कोई न कोई मंशा तो छिपी हुई है... मानो या न मानो... अरे! ऐसा क्यों नही हो सकता... भई! "बराक" दुनिया के सरताज (अमेरिका) का राजा जो ठहरा... मैंने समाचार में सुना है कि "बराक" ने ठीक उसी तरह शपथ ली जैसे कि महान "अब्राहम लिंकन" और "मार्टिन लूथर किंग" ने ली थी... भई! जो भी हो पर "बराक" पूरी दुनिया को भा गया... देखते ही देखते एक अदना सा "बराक" The 44th Precident of America हो गया... भई! लाज़वाब... मज़ा आ गया... "बराक" ने अपनी इस उपलब्धि से न जाने कितने ब्लोगर्स को लिखने का विषय दे दिया (जैसे कि मुझे)...

न जाने कितने पत्रकारों को मसालेदार समाचार और न जाने कितने "कलमघिस्सुओं" को "पेन की रिफिल" ख़तम करने की वज़ह...? चाहे जो भी हो पर अब "बराक" बन गया है... "बराक हुसैन ओबामा"! अमेरिका का चवालीस वां राष्ट्रपति...!

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