घर जिसने किसी ग़ैर का आबाद किया है
शिद्दत से आज दिल ने उसे याद किया है
जग सोच रहा था कि है वो मेरा तलबगार
मैं जानता था उसने ही बरबाद किया है
तू ये ना सोच शीशा सदा सच है बोलता
जो ख़ुश करे वो आईना ईजाद किया है
सीने में ज़ख्म है मगर टपका नहीं लहू
कैसे मगर ये तुमने ऐ सैय्याद किया है
तुम चाहने वालों की सियासत में रहे गुम
सच बोलने वालों को नहीं शाद किया है
रविवार, अगस्त 30, 2009
शिद्दत से आज दिल ने...
रचनाकार: तेजेन्द्र शर्मा
लेबल: शिद्दत
Writer रामकृष्ण गौतम पर रविवार, अगस्त 30, 2009 2 Responzes
सदस्यता लें
संदेश (Atom)