उसने मुझसे कहा आप आर्डर कीजिए।
मैंने कहा तुम आर्डर दो, मुझे आर्डर देना नहीं आता।
मेरी "च्वाइस" अच्छी नहीं है!!
उसने बड़े ही सहज भाव से उत्तर दिया-
मैं भी तो आपकी ही "च्वाइस" हूँ!!
चरित्र मानव का महल की तरह... गिरेगा लगेगा खंडहर की तरह... जलेगा बरसात में भीगी लकड़ी की तरह... मांगेगा, न मिलेगी मौत, जिंदगी की तरह!..
Writer रामकृष्ण गौतम पर गुरुवार, जून 04, 2009 5 Responzes
मैं तो लोगों के लिए
एक सीढ़ी हूँ
जिस पर पैर रखकर
उन्हें ऊपर पहुँचना है
तब सीढ़ी का क्या अधिकार
कि वह सोचे
कि किसने धीरे से पैर रखा
और कौन उसे
रौंदकर चला गया।
Writer रामकृष्ण गौतम पर शनिवार, फ़रवरी 28, 2009 1 Responzes
लेबल: इरादा, जीवन, पंडित जी, मैं, मौत, रास्ता, वादा, सत्यता और सार्थकता
Writer रामकृष्ण गौतम पर रविवार, जनवरी 25, 2009 5 Responzes