परदा... एक ऐसा सच है
जिसमें हम वही देखते हैं
जिसमें हम वही देखते हैं
जो हम देखना चाहते हैं
हम देखना चाहते हैं ग्लैमर
और चाहते हैं सस्पेंस
उस परदे पर
हमें वही मिलता है
बिल्कुल वही
हम जब
परदे के सामने होते हैं
हम भूल जाते हैं कि
हम परदे के सामने बैठे हैं
हम सोचते हैं कि
हम भी वहीं हैं जहां
ये सब हो रहा है
चाहे वह वांटेड का सलमान हो
या गजनी का आमिर
चाहे वह देवदास हो
या फिर हो आनन्द
कभी सोचा है
कि ऐसा क्यों होता है
शायद इसलिए क्योंकि
हम अपने अन्दर
तरह-तरह के चरित्र बनाते हैं
कभी खुद में बच्चन
तो कभी ब्रेड पिट को
बुलाते हैं!!!
3 Responzes:
सुंदर भाव.
Wow! Itz Amaging Creation... Good Luck
yeh aankhein kahan kuch samajna chahti hai..yeh wahi dekhti hai jo dekhna chahti hai...
-Sheena
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