घर से निकले थे हौसला करके!
लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके!!
दर्द-ऐ-दिल पाओगे वफ़ा करके!
हमने देखा है तज़ुरबा करके!!
लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात!
हम चले दिल को रहनुमा करके!!
जिंदगी तो कभी नहीं आई!
मौत आई ज़रा-ज़रा करके!!
किसने पाया सुकून दुनिया में!
जिंदगानी का सामना करके!!
पता लेकिन इसे मैंने मशहूर ग़ज़ल गायक
जगजीत सिंह जी की आवाज़ में सुना है!)
3 Responzes:
शानदार। हर शेर लाजवाब।
मेरे ख्याल से यह गज़ल राजेश रेड्डी की लिखी है जिसे जगजीत सिंग नें गुलज़ार के डायरेक्शन में गाया है.
Gazal acchi aur aapki prastuti bhi acchi lagi.
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