यादें... यादें दो तरह की होती हैं; एक अच्छी यादें, दूसरी बुरी यादें. अच्छी यादें उन खुशबूदार फूलों की तरह होती हैं जिन्हें अगर कोई हमारी तरफ फेंकता है तो वो हमारी धडकनों से टकराकर हमारी रूह को तक महका देती हैं. बुरी यादें; बुरी यादें उन कंटीले पत्थरों की तरह होती हैं जो हमसे टकराकर एक अनकहा और कभी न भुला सकने वाला दर्द पैदा करती हैं. पर विडंबना ये है कि हम मनुष्य हैं और हमारी ज़िन्दगी इन दोनों यादों के बगैर नहीं चल सकती.
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शनिवार, अगस्त 01, 2009
यादें...!
लेबल: दर्द, यादें, रूह, विडंबना
Writer रामकृष्ण गौतम पर शनिवार, अगस्त 01, 2009 0 Responzes
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