जब दिन निकला
तुम याद आए
जब सांझ ढली
तुम याद आए
जब चलूँ अकेले
तन्हा मैं
सुनसान सड़क के
बीचों बीच
धड़कन भी जोरों
से भागे
लगता मुझको
कि यहीं कहीं
अब भी तुम हो
मेरे आसपास
जब कोयल
मेरे कानों में
एक मधुर सी तान
सुना जाए
लगता मुझको ऐसा जैसे
तुम याद आए
तुम याद आए
रविवार, नवंबर 08, 2009
तुम याद आए...
लेबल: तुम याद आए
Writer रामकृष्ण गौतम पर रविवार, नवंबर 08, 2009
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1 Responzes:
बिल्कुल सरल अभिव्यक्ति
:)
वीनस केशरी
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