अब साँसों का कोई शौक नही, परवश लेते हैं।
जिन्हें दूध देकर पालो वो खेल-खेल में डंस लेते हैं॥
आ लगी अब ज़िन्दगी शर्मिंदगी की मोड़ पर।
जिन बातों पर रोना आए, हम उन पर अब हंस देते हैं॥
मंगलवार, जुलाई 28, 2009
अब साँसों का कोई शौक नही...
Writer रामकृष्ण गौतम पर मंगलवार, जुलाई 28, 2009
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1 Responzes:
bahut hi sahi kaha aapane .....samay ajib ajib hote hai
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