लोग अक्सर कविताओं को पढने की चीज़ मानते हैं, पढ़ते हैं और भूल जाते हैं, फिर एक नई कविता पढ़ते हैं और फिर भूल जाते हैं! यह कविता मुझे पढने लायक तो लगी ही पर साथ ही याद रखने लायक भी लगी रचनाकार किसी की ये रचना मुझे बेहतर लगी और मैंने झट ही इसे अपने ब्लॉग में समा बैठा..!!
गुरुवार, नवंबर 27, 2008
गौर फरमाएं...
गौर फरमाएं...
Writer रामकृष्ण गौतम पर गुरुवार, नवंबर 27, 2008
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4 Responzes:
" husn ko jarurat kya hai sajane or sanwarane kee, hirani ki aankh me kajal nahin hota" narayan narayan
Search here something like that भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे..... हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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