शुक्रवार, जून 12, 2009

अपने हाथों से पिलाया कीजिए...


इस तरह हर ग़म भुलाया कीजिये

रोज़ मैख़ाने में आया कीजिये

छोड़ भी दीजिये तकल्लुफ़ शेख़ जी

जब भी आयें पी के जाया कीजिये

ज़िंदगी भर फिर न उतेरेगा नशा

इन शराबों में नहाया कीजिये

ऐ हसीनों ये गुज़ारिश है मेरी

अपने हाथों से पिलाया कीजिये




"हसरत जयपुरी"

8 Responzes:

Meer ने कहा…

Bahut Khoob.

Unknown ने कहा…

kya baat hai !
waah
waah

alka mishra ने कहा…

is mashhur gazal ke saath iske wikhyaat shaayar kaa naam bhi likhna chahiye tha.

श्यामल सुमन ने कहा…

किसी की पंक्तियाँ है-

बेवक्त मार डालेंगी ये होश मंदियाँ।
जीने की आरजू है धोखे भी खाइये।।

ये कौन आधी रात को आया है मैकदे।
तौबा जनाबे शेख है तशरीफ लाइये।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.

ओम आर्य ने कहा…

padhawane ke liye shukriya

रंजना ने कहा…

Kya yah salaah striyon ke liye bhi hai????

Ha ha ha.....majaak kar rahi thi...

Bahut hi sundar rachna hai...Aabhar.

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

अलका जी माफ़ी चाहूँगा| शायर का नाम नहीं नहीं लिख पाया था| अब लिख दिया है|

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

रंजना जी! अब ये तो अपने-अपने स्वविवेक की बात है|

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