मंगलवार, जनवरी 12, 2010

मौत आई ज़रा-ज़रा करके...

घर से निकले थे हौसला करके!
लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके!!








दर्द-ऐ-दिल पाओगे वफ़ा करके!
हमने देखा है तज़ुरबा करके!!





लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात!
हम चले दिल को रहनुमा करके!!






जिंदगी तो कभी नहीं आई!
मौत आई ज़रा-ज़रा करके!!






किसने पाया सुकून दुनिया में!
जिंदगानी का सामना करके!!
 
 
 
 

(इस ग़ज़ल के रचनाकार का नाम तो मुझे नहीं
पता लेकिन इसे मैंने मशहूर ग़ज़ल गायक
जगजीत सिंह जी की आवाज़ में सुना है!)

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