शुक्रवार, दिसंबर 04, 2009

मीडिया : द फोर्थ कॉलम!...

कुछ दिनों पहले तक लोकतंत्र के केवल तीन ही स्तंभ थे। उनके साथ कदम से मिलाकर जिम्मेदारपूर्वक कार्य करते हुए मीडिया ने अपने हाथ दिखाए और शामिल हुआ चौथे स्तंभ के रूप में! और... कहलाने लगा लोकतंत्र का चौथा स्तंभ... लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ ने देश, दुनिया ही नहीं बल्कि गांव और शहरों के भी छोटे-छोटे इलाकों को कवर करते हुए समाज में अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई।

शायद! यही वजह थी कि इसे संविधान के चौथे स्तंभ का दर्जा दिया गया और कहा जाने लगा... मीडिया : द फोर्थ कॉलम! इसने हर अच्छे और बुरे समय में घर के एक लायक बड़े बेटे की भूमिका निभाई। यही वजह है कि इसे घर के मुखिया यानि देश के संविधान ने बड़े बेटे की ताकत और रुतबा प्रदान किया... लेकिन हाल के कुछ दिनों से देखने में आ रहा है कि यह बड़ा बेटा अब शायद पहले की तरह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा पा रहा है। मेरा मतलब खबरों के प्रस्तुतिकरण से है।

वर्तमान में मीडिया के पास क्या समुचित खबरों की कमी है जो वह अश्लीलता, फूहड़पन और भूत-प्रेत आधारित खबरों को बहुत ही प्रधानता से प्रस्तुत कर रहा है। क्या वज़ह कि अब शायद यह बड़ा बेटा अपनी जिम्मेदारियों को भूलने लगा है?

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Blogspot Templates by Isnaini Dot Com. Powered by Blogger and Supported by Best Architectural Homes