रविवार, जून 07, 2009

माँ...


एक महोदय बड़ी गंभीरता के साथ कुछ लिख रहे थे...
अचानक एक पिचहत्तर साल के करीब की बुजुर्ग महाशय के पास आई और बोली -
बेटा! भोजन का समय हो गया है! महाशय ने ध्यान नही दिया...
बुजुर्ग ने फ़िर कहा - मेरे लाल! भोजन ठंडा हो रहा है!
महाशय गुस्से में आ गए और बोले - चुप भी कर ''माँ'',
तेरे आँख फूट गए हैं क्या?
देखती नही कल कोलेज में मेरा लेक्चर है...
"माँ" पर कविता लिख रहा हूँ..!!

2 Responzes:

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

आजकल के बेटे शायद ऐसे ही होते है...!लेकिन माँ तो आखिर माँ है,चिंता करेगी ही..

Unknown ने कहा…

hay hay hay hay .......................
jis maa ne bolna sikhaya.............
us maa ko chup rahna sikha rahe hain
he bhagwan ye hum kahan ja rahe hain.............
SHAYAD RAURAV NARAK KI TARAF___________
is post k liye badhai+++

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