उसने कहा मैं कहाँ हूँ..?
मैंने कहा मेरे दिल में,
मेरी साँसों में,
मेरी साँसों में,
मेरे जेहन में,
मेरी नस-नस में,
उसने कहा मैं कहाँ नही हूँ..?
मैंने कहा मेरी किस्मत में..!!
चरित्र मानव का महल की तरह... गिरेगा लगेगा खंडहर की तरह... जलेगा बरसात में भीगी लकड़ी की तरह... मांगेगा, न मिलेगी मौत, जिंदगी की तरह!..
Writer रामकृष्ण गौतम पर गुरुवार, जून 04, 2009
2 Responzes:
क्या बात है।
लाजवाब कर गयी आपकी क्षणिका।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Simply Mind Blowing!! Good Luck
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