सोमवार, मार्च 16, 2009

झूठा कहीं का..!

मन की इक बात

मन ही में रह जाती है...

रोज़ कहता हूँ खुद से

कि

आज कहकर ही दम लूँगा...

झूठा साबित होता हूँ

जब...

सामने तू आती है...!!!

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