लोग अक्सर कविताओं को पढने की चीज़ मानते हैं, पढ़ते हैं और भूल जाते हैं, फिर एक नई कविता पढ़ते हैं और फिर भूल जाते हैं! यह कविता मुझे पढने लायक तो लगी ही पर साथ ही याद रखने लायक भी लगी रचनाकार किसी की ये रचना मुझे बेहतर लगी और मैंने झट ही इसे अपने ब्लॉग में समा बैठा..!!
गुरुवार, नवंबर 27, 2008
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3 Responzes:
" husn ko jarurat kya hai sajane or sanwarane kee, hirani ki aankh me kajal nahin hota" narayan narayan
Search here something like that भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
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