मंगलवार, जनवरी 12, 2010

मौत आई ज़रा-ज़रा करके...

घर से निकले थे हौसला करके!
लौट आए ख़ुदा-ख़ुदा करके!!








दर्द-ऐ-दिल पाओगे वफ़ा करके!
हमने देखा है तज़ुरबा करके!!





लोग सुनते रहे दिमाग़ की बात!
हम चले दिल को रहनुमा करके!!






जिंदगी तो कभी नहीं आई!
मौत आई ज़रा-ज़रा करके!!






किसने पाया सुकून दुनिया में!
जिंदगानी का सामना करके!!
 
 
 
 

(इस ग़ज़ल के रचनाकार का नाम तो मुझे नहीं
पता लेकिन इसे मैंने मशहूर ग़ज़ल गायक
जगजीत सिंह जी की आवाज़ में सुना है!)

3 Responzes:

मनोज कुमार ने कहा…

शानदार। हर शेर लाजवाब।

Udan Tashtari ने कहा…

मेरे ख्याल से यह गज़ल राजेश रेड्डी की लिखी है जिसे जगजीत सिंग नें गुलज़ार के डायरेक्शन में गाया है.

ज़मीर ने कहा…

Gazal acchi aur aapki prastuti bhi acchi lagi.

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Blogspot Templates by Isnaini Dot Com. Powered by Blogger and Supported by Best Architectural Homes