रविवार, अक्तूबर 04, 2009

मौत तू एक कविता है...

मौत तू एक कविता है...
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझे
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लेकर जब चाँद उफ़क़ तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के क़रीब
न अँधेरा न उजाला हो, न अभी रात न दिन
ज़िस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझे!!!

(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के
लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)

5 Responzes:

ओम आर्य ने कहा…

ज़िस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब सांस आये
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझे!!!

waah kya khub kahi hai apane ........
puri tarah se adhyaatmik panktiya......kuchh aisa hi wada maine jindagi se ki hai.....

गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…

भैया, फिल्म आनन्द से उठाए हैं, कम से कम सन्दर्भ तो दे देते।

आभार

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

Aadarneey गिरिजेश राव Saab, Maaf karen, Lekin mujhe sandarbh ki jaankaari nahi thi. Apko dhanyavaad ki apne mujhe gyat kara diya!

शरद कोकास ने कहा…

भई लेकिन इस कविता का कवि कौन है ? कोई बताये ।

रामकृष्ण गौतम ने कहा…

शरद जी इसके रचनाकार गुलज़ार साब हैं|

LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Blogspot Templates by Isnaini Dot Com. Powered by Blogger and Supported by Best Architectural Homes