झलक यूँ यास में उम्मीद की मालूम होती है।
कि जैसे दूर से इक रोशनी मालूम होती है॥
मुबारक ज़िंदगी के वास्ते दुनिया को मर मिटना।
हमें तो मौत में भी ज़िंदगी मालूम होती है॥
रज़्म रदौलवी
शुक्रवार, सितंबर 04, 2009
मुबारक ज़िंदगी के वास्ते...
लेबल: रु'बाईयां
Writer रामकृष्ण गौतम पर शुक्रवार, सितंबर 04, 2009
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2 Responzes:
आभार पढ़वाने का.
मुबारक ज़िंदगी के वास्ते दुनिया को मर मिटना।
हमें तो मौत में भी ज़िंदगी मालूम होती है॥
jo jeena chahte hai
wo maut mein bhi zindagi ko dhoond laate hai
--Sheena
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