शुक्रवार, जून 12, 2009

माँ तुम हो या मेरा भ्रम है..?



माँ बेसाख़्ता आ जाती है तेरी याद
दिखती है जब कोई औरत..।
घबराई हुई-सी प्लेटफॉम पर
हाथों में डलिया लिए
आँचल से ढँके अपना सर
माँ मुझे तेरी याद आ जाती है..।
मेरी माँ की तरह
उम्र के इस पड़ाव पर भी घबराहट है
क्यों, आख़िर क्यों ?
क्या पक्षियों का कलरव
झूठमूठ ही बहलाता है हमें ..?

3 Responzes:

अनिल कान्त ने कहा…

behtreen post

Unknown ने कहा…

atyant pavitra
atyant maarmik kavita
badhaai !

Ram Krishna Gautam ने कहा…

Hausla Badhane ke liye Aap Dono ko Saadhuvaad!

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