इंसान की जिंदगी में कई बार ऐसे पल आते हैं, जब उसे काफी कुछ सोचना पड़ता है... यहाँ तक कि वह खुद को भूल जाता है... यकीन मानिए ऐसा होता है... ऐसा वाकई होता है...वह इतना सोचता है कि सोचने के अलावा उसके पास कोई और रास्ता ही नहीं होता...कभी सोचता है कि मैं क्या सोच रहा हूँ, कभी सोचता है कि मैं इतना क्यों सोचता हूँ...और कभी वह सोचता है कि मुझे क्या सोचना है॥? किसके बारे में सोचना है..?और इन्ही सब के चलते उसकी सोच ही बदल जाती है... कभी-कभी तो वह सोचने में इतना मशगूल हो जाता है कि सोचना ही भूल जाता है...इसे मानवीय प्रकृति कहते हैं... वैसे ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता...ऐसा उनके साथ होता है जो सोचना जानते हैं... ऐसा एक जीता जागता उदाहरण भी मैंने देखा है...मेरे बड़े भाई के रूप में... वैसे उनको "बड़ा भाई" इसलिए कहा रहा हूँ क्योंकि उनका परिचय देने के लिए कोई न कोई संबोधन तो देना ही पड़ेगा... और उनको "बड़ा भाई" कहने में मैं फक्र महसूस करता हूँ... अगर उनको मैं अपना खुदा कहूं तो अतिसंयोक्ति नहीं होगी... वो वाकई में मेरे लिए किसी खुदा से कम नहीं हैं... कहते हैं न कि "खुदा" हमेशा अपने बन्दों के लिए "खुद" से ज्यादा सोचते हैं... उन्होंने हमेशा अपने छोटे भाई किशन (वो मुझे प्यार से किशन कहते हैं) के लिए खुद से कहीं ज्यादा सोचा है और किया है... पर मेरे खुदा कि एक बात मुझे ठीक नहीं लगती..! उनका मेरे बारे में इतना ज्यादा सोचना! जब वो भोजन करते हैं तो सोचते हैं कि मेरे किशन ने भोजन किया होगा कि नहीं..? वो कहीं भूखा तो नहीं होगा..? जब वो सोते हैं तो सोचते हैं कि मेरा किशन अभी भी अपने ऑफिस में काम पर लगा होगा... जब वो कहीं घुमते हैं तो सोचते हैं कि मेरे किशन के क्या हाल होंगे..? मैं जब उनके पास होता हूँ तो मुझे हमेशा एक पिता कि तरह समझाते हैं... वो मुझे हमेशा मार्गदर्शित करते हैं... मेरे भैया दिल्ली में हैं और वो "आईएएस" के मेन एग्जाम की तयारी कर रहे हैं... मैंने अपने जीवन में उनकी तरह महत्वकांक्षी व्यक्ति नहीं देखा..! सच कहता हूँ... नहीं देखा... वो मुझे बहुत प्यार करते हैं... ये केवल कहने की बात नहीं... सच में ऐसा ही है...वो मेरे बारे में इतना सोचते हैं... ये मेरे लिए बहुत ही सौभग्य की बात है... अब मैं भी सोचने लगा हूँ... मैं सोचता हूँ की जब वो मेरे बारे में इतना सोचता हैं तो मुझे किसी के बारे में सोचने की कोई ज़रुरत नहीं है... "सोचता हूँ सोचना अब बंद ही कर दूं!"
रविवार, फ़रवरी 22, 2009
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5 Responzes:
"Ye kya sochna-sochna laga rakhi hai, kuchh karo bhi"
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aisa mere se bhi kahaa gaya kai baar.
yeh to ek unvarat kriya hai.
ह्म्म्म भाई बात तो सही है
Bhai Guatam ji Appke Bade Bhaiya Aapse bahut Pyar Karte hain. Bahut LUCKY hain Aap.
चलो, एक बार ऐसा कर के भी देख लो..फिर न कर पाओगे आगे से ऐसा. :)
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