कहते हैं न कि ℓιƒє ιѕ тнє ρєямιѕѕιση тσ кησω ∂єαтн●•∙
बस... यही सोचते-सोचते एक दिन मैं मौत को ढूँढने चल पड़ा,
कि अचानक मुझे पंडित अटल बिहारी बाजपेयी जी की ये
कविता मिल गई और मैं बिना देर लगाए
इसे अपने ब्लॉग में समा बैठा!
आप भी पढ़ें और देखें किइन पंक्तियों में
कितनी सत्यता और सार्थकता है...
ठन गई! मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
जूझने का मेरा इरादा न था,
किसी मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है?
मौत की उमर क्या है?
दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला,
आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया,
मैं जी भर जिया,
मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा,
कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव,
तू दबे पाँव,
चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर,
मौत से बेख़बर,
ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई,
रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का,
तेवरी तन गई।
मौत से ठन गयी!! मौत से ठन गयी!!
मौत से ठन गयी!! मौत से ठन गयी!!
5 Responzes:
आप सभी को 59वें गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
जय हिंद जय भारत
वाजपेयी जी की कविता पढवाने कर बहुत बहुत शुक्रिया.....गणतंत्र दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं...
बात है गुरु ....काबिले तारीफ
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
bajpai ji ki kavita k bahut- bahut dhnywad
aapke blog ka title kafi achha hai.
plz visit
www.salaamzindadili.blogspot
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