मंगलवार, जनवरी 20, 2009
एक कड़वा सच अमेरिका के एतिहासिक दिन का...
बराक ओबामा संयुक्त राज्य अमेरिका के 44वें राष्ट्रपति हैं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली पद पर आसीन होने के बाद ओबामा के सामने सबसे बड़ी और पहली चुनौती अमेरिका को आर्थिक मंदी से उबारना होगी।पूरा अमेरिका पिछले कई महीनों से आर्थिक मंदी से जूझ रहा है, कई कंपनियाँ बंद हो गई हैं, कई नौकरियाँ जा चुकी हैं तो कई जाने वाली हैं। ओबामा का शपथ ग्रहण समारोह अमेरिका के इतिहास में अब तक का सबसे महँगा समारोह है। चौंकाने वाली बात यह इस समारोह के लिए चंदा देने वाली वे कंपनियाँ हैं, जो पिछले काफी समय से आर्थिक मंदी का रोना रो रही हैं।एक रिपोर्ट के अनुसार ओबामा के शपथ ग्रहण समारोह का अनुमानित खर्च 170 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। 2005 में जॉर्ज बुश के कार्यकाल में यह 42।3 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि 1993 में बिल क्लिंटन के शपथ ग्रहण समारोह में यह 33 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।आखिर मंदी के दौर में इतने भव्य समारोह की क्या आवश्यकता है? सवाल यह है कि मंदी से उबरने के लिए बैल आउट पैकेज के लिए आनाकानी करने वाली अमेरिकी सरकार के पास आखिर इतना धन आया कहाँ से? खबर है कि यह धन उन कंपनियों ने उपलब्ध करवाया है, जो या तो मंदी का रोना रोकर अपने यहाँ नौकरियाँ कम कर रही हैं या दिवालिया घोषित हो चुकी हैं।इन कंपनियों के पास अपने यहाँ नौकरी कर रहे लोगों को देने के लिए पैसा नहीं है, लेकिन इस भव्य समारोह के लिए 'चंदा' देने के लिए धन है। समारोह के लिए चंदा देने में पिछले दिनों हजारों नौकरियाँ खत्म करने वाली सिटी बैंक का नाम सबसे ऊपर है। सिटी बैंक ने 113000 अमेरिकी डॉलर का चंदा दिया है। दिवालिया घोषित हो चुकी कंपनी लैहमैन ब्रदर्स होल्डिंग्स भी चंदा देने के मामले में सिटी बैंक से पीछे नहीं है। लैहमैन ब्रदर्स ने 115000 डॉलर इस समारोह के लिए दिए हैं। इस तरह ओबामा के समारोह के लिए चंदा देने वालों की सूची लंबी है और इसमें गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसे नाम प्रमुख हैं। जाहिर है यह चंदा ओबामा सरकार से राहत पाने की नीयत से दिया जा रहा है।
Writer रामकृष्ण गौतम पर मंगलवार, जनवरी 20, 2009
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1 Responzes:
ऐसा हमेशा से होता आया है. काफी गहन विश्लेषण किया है.
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